दो लोग मिलकर एक नौकरी करें तो?

इसमें कोई शक नहीं कि नौकरियों के मामले में दुनिया तेज़ी से बदली है. सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक वाली नौकरियों के दिन लद गए हैं.

दूर बैठकर होने वाली नौकरियों, अंशकालिक नौकरियों और लचीले घंटों वाली नौकरियों ने उनकी जगह ले ली है.

इस बदलाव के साथ एक और व्यवस्था आई है- जॉब शेयरिंग. फोर्ब्स ने हाल ही में इसे दफ़्तरों की "सबसे नई क्रांति" कहा है.

जॉब शेयरिंग में एक से ज़्यादा लोग एक साथ एक ही नौकरी करते हैं.

वैसे तो यह अवधारणा कई दशक पहले की है, लेकिन ब्रिटेन में सिर्फ़ 0.4 फीसदी लोग इस तरह से काम करते हैं.

ज़्यादातर मैनेजर जॉब शेयरिंग जैसे विचार के लिए खुले हैं, लेकिन उन्हें यह समझ में नहीं आता कि यह व्यवस्था असल में कैसे काम कर सकती है.

मैगी पिगोट और जुडिथ किलिक ने पिछले 23 सालों में 7 नौकरियां साझा कीं. उन्हें पदोन्नति भी मिली और शाही सम्मान भी.

दोनों महिलाएं अपने करियर में लचीलापन चाहती थीं. कानूनी करियर में उतना लचीलापन नहीं मिल सकता था, इसलिए वे आपराधिक अपील कार्यालय में (अलग-अलग) सिविल सेवा की नौकरियों में चली गईं.

पिगोट कहती हैं, "मैं जानती थी कि मेरे बच्चे होंगे तो इसलिए मैं पार्टटाइम काम करना चाहती थी."

किलिक भी बच्चों और परिवार के साथ संतुलन बनाना चाहती थीं. इस तरह दोनों का मकसद एक जैसा था.

उन्हें तीन-तीन दिनों का भुगतान मिलता था. पिगोट सोमवार से बुधवार तक काम करती थीं और किलिक बुधवार से शुक्रवार तक. एक दिन दोनों काम करते थे.

किलिक कहती हैं, "बुधवार का ओवरलैप बहुत अहम था. काम के बारे में एक-दूसरे को मालूम चल जाता था और वे काम भी हो जाते थे जिनको बांटा नहीं जा सकता था."

इसमें स्टाफ के मसले या उनकी जिम्मेदारियों की रणनीति से जुड़े मुद्दे शामिल होते थे.

वह कहती हैं, "आपको आसपास के लोगों से भी संवाद करने की ज़रूरत होती है कि जॉब शेयरिंग कैसे काम कर रहा है. इससे उनका क्या फायदा जिनके लिए आप काम कर रहे हैं, चाहे वे जज हों या मुवक्किल."

एक योग्य साथी को ढूंढ़ना बहुत अहम है. किलिक के लिए "कई मायनों में, यह शायद सबसे मुश्किल चीज है."

वह कहती हैं, "मैगी और मैं एक ही विभाग में काम करते हुए मिले थे और हम जीवन के एक ही पड़ाव पर थे. हमारे बच्चे हुए थे और हम यह काम भी करना चाहते थे."

पिगॉट को लगता है कि नौकरी साझा करने वाले लोगों को एकदम एक जैसा नहीं होना चाहिए.

"जूडिथ और मैं बिल्कुल अलग हैं. अगर दोनों एक-दूसरे के पूरक हों तो यह शानदार होगा क्योंकि आप जो काम अच्छे से कर सकते हैं वह करेंगे, साथ ही एक-दूसरे की सहायता भी कर पाएंगे."

"लेकिन काम करने का रवैया एक जैसा होना चाहिए. एक आदमी ख़ूब काम करने वाला हो और दूसरा ऐसा न हो तो यह नहीं चल सकता."

"लीडरशिप और मैनेजमेंट के बारे में भी आपकी सोच एक जैसी होनी चाहिए क्योंकि आप नहीं चाहेंगे कि दोनों एक-दूसरे के ख़िलाफ काम करें."

नौकरी साझा करने वाले पार्टनर पर भरोसा सबसे ज़रूरी है. पिगोट और किलिक दोनों इस पर जोर देती हैं.

पिगोट कहती हैं, "बुधवार को जुडिथ के हाथों में काम सौंपते समय मैं चाहती थी कि मुझे कोई फिक्र न हो, मैं घर जाऊं, बच्चों को देखूं, मां को देखूं और दूसरी चीजों पर ध्यान दूं."

किलिक के मुताबिक दूसरे व्यक्ति ने जो किया है उसमें मीन-मेख निकालने से हर कीमत पर बचना चाहिए. "पीछे जाना ठीक नहीं है, हमेशा आगे बढ़िए."

नौकरी साझा करने और चलाने में समय और संसाधन की ज़रूरत होती है.

किलिक कहती हैं, "बहुत सारी तैयारियां करनी पड़ती है. सबसे बड़ी चुनौती यह आती है कि दूसरे लोग सोच नहीं सोच पाते कि यह (व्यवस्था) कैसे काम करेगी."

"लोगों को इसकी कल्पना भी बहुत मुश्किल लगती है, इसलिए इस बारे में बहुत तैयारी करें कि आप काम को कैसे बांटेंगे ताकि उन सवालों का जवाब दे सकें."

हालांकि नौकरी में साझेदारी अब भी बड़े पैमाने पर नहीं होती, लेकिन परंपरागत मॉडल से अलग तरीके से काम करने की भूख बढ़ी है.

कंसल्टेंसी रिसर्च से पता चलता है कि ब्रिटेन में 87 फीसदी लोग लचीलेपन के साथ काम करना चाहते हैं, लेकिन ऐसी नौकरियां सिर्फ़ 11 फीसदी ही हैं. इनमें से भी आधी नौकरियां अंशकालिक हैं.

पुरुष भी अपनी नौकरी में लचीलापन चाहते हैं, लेकिन महिलाओं की तुलना में उनको इसका कम फायदा मिल सकता है, क्योंकि देखभाल की जिम्मेदारियों का बड़ा हिस्सा महिलाओं के कंधों पर ही आता है.

मैगी पिगोट (इस व्यवस्था के बारे में) मंझोले प्रबंधकों के मन में उठने वाली दुविधाओं को शांत करती हैं.

"जब तक आपने यह नहीं देखा है कि साझेदारी की नौकरी कैसे काम करती है, तब तक आप उन सारी वजहों के बारे में सोचते रहेंगे कि यह कैसे काम नहीं करेगा."

"जब आप इसे देख लेंगे कि यह वास्तव में सही काम कर सकता है तो आपका सारा डर ख़त्म हो जाएगा."

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