लोकसभा चुनाव 2019: प्रियंका ने महात्मा गांधी पर जो कहा वो कितना सच

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पहले चुनावी भाषण में कहा कि महात्मा गांधी ने गुजरात से आज़ादी की आवाज़ उठाई थी.

हालांकि आज़ादी की लड़ाई की औपचारिक शुरूआत गांधी ने बिहार के चंपारण से की थी.

प्रियंका गांधी ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, "यहां पे, जहां से हमारी आज़ादी की लड़ाई शुरू हुई थी, जहां से गाँधी जी ने प्रेम, सद्भावना और आज़ादी की आवाज़ उठाई थी. मैं सोचती हूं कि यहीं से आवाज़ उठनी चाहिए कि इस देश की फ़ितरत क्या है."

प्रियंका ने गुजरात के गांधीनगर की रैली में कहा, "पहली बार मैं गुजरात आई हूं और पहली बार साबरमती के उस आश्रम में गई जहां से महात्मा गांधी जी ने इस देश की आज़ादी के संघर्ष की शुरुआत की."

उन्होंने कहा, "ये देश प्रेम सद्भावना और आपसी प्यार के आधार पर बना है. आज जो कुछ देश में हो रहा है वो इसके ख़िलाफ़ है."

महात्मा गांधी ने आज़ादी की लड़ाई गुजरात से शुरू की या चंपारण से?

गुजरात यूनिवर्सिटी में सोशल साइंस के प्रोफ़ेसर गौरांग जानी ने बीबीसी से कहा कि प्रियंका तथ्यात्मक रूप से इस मामले में ग़लत नहीं हैं क्योंकि 1915 में दक्षिण अफ़्रीका से वापस आने के बाद गुजरात में वो राजनीतिक और सामाजिक रूप से काफ़ी सक्रिय हो गए थे.

जानी कहते हैं, ''हम ये कह सकते हैं कि बिहार के चंपारण से उन्होंने आज़ादी की लड़ाई व्यापक पैमाने पर शुरू की थी. ऐसे में प्रियंका का यह कहना कि गांधी ने गुजरात से आज़ादी की लड़ाई शुरू की इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है.''

गांधी 9 जनवरी 1915 में दक्षिण अफ़्रीका से भारत लौटे. 25 लोगों को लेकर 25 मई 1915 में उन्होंने अहमदाबाद के नज़दीक कोचराब में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की.

इस आश्रम को बाद में जुलाई 1917 में साबरमती नदी के किनारे ले जाया गया था और इसका नाम साबरमती आश्रम पड़ा.

लेकिन गांधी ने आज़ादी का आंदोलन साबरमती से नहीं बल्कि बिहार के चंपारण से शुरू किया था.

कोलकाता से बांकीपुर (पटना) की रेल यात्रा में राजकुमार शुक्ल महात्मा गांधी के साथ थे और मुज़फ्फ़रपुर रेलवे स्टेशन पर रात एक बजे गांधी को आचार्य जेबी कृपलानी से उन्होंने मिलवाया.

नील की खेती में बंधुआ मज़दूरी करने वाले किसानों और मज़दूरों की दुर्दशा दिखाने के लिए गांधी को राजकुमार शुक्ल ही चंपारण ले कर आए थे.

अपनी आत्मकथा में गांधी कहते हैं कि उस "भोले-भाले किसान ने मेरा दिल जीत लिया." अप्रैल 1917 में महात्मा गांधी चंपारण गए. यहां किसानों की दुर्दशा देखने के बाद गाँधी ने उनके मुद्दे को उठाने का फ़ैसला किया. यही वजह है कि 2017 में चंपारण सत्याग्रह की सौंवी वर्षगांठ मनाई गई थी.

अहिंसा के अपने अस्र का भारत में पहला प्रयोग महात्मा गांधी ने चंपारण में ही किया था और यहीं से एक तरह से आज़ादी की गांधीवादी लड़ाई की शुरुआत भी हो गई थी.

 और क्या-क्या कहा प्रियंका गांधी ने
प्रियंका ने कहा, "अपको सोचना होगा कि आप चुनाव में अपना भविष्य चुनने जा रहे हो, फिज़ूल के मुद्दे नहीं उठने चाहिए, वो मुद्दे उठाएं जिनका असर आपकी ज़िदगी पर होता है."

"जागरूक बनने से बड़ी कोई देशभक्ति नहीं है. ये एक हथियार है जिसके किसी को दुख नहीं देना, किसी का नुक़सान नहीं करना ये आपको मज़बूत बनाएगा."

उन्होंने कहा, "बड़ी-बड़ी बातें करने वालों से पूछिए कि दो करोड़ रोज़गार का वादा किया था वो कहां हैं. उनसे पूछिए कि 15 लाख खाते में आने थे, वो 15 लाख कहां गए. महिलाओं की सुरक्षा की बात जो करते थे उसका क्या हुआ?"

प्रियंका गांधी ने कहा, "आने वाले दो महीनों में आपके सामने तमाम मुद्दे उछाले जाएंगे लेकिन आपकी जागरूकता ही नया देश बनाएगी. आपकी देश भक्ति इसी में प्रकट होनी चाहिए."

प्रियंका ने कहा कि चुनाव आज़ादी की लड़ाई से कम नहीं हैं. उन्होंने कहा, "हमारी संस्थाए नष्ट की जा रही है, नफ़रत फैलाई जा रही है."

"हमारे लिए इससे बड़ा कोई काम नहीं है कि हम देश की हिफाज़त करें और देश के विकास के लिए इकट्ठा आगे बढ़ें."

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