शहरों को ट्रैफ़िक संकट से उबार रही है केबल कार

दुनिया भर के शहरों में आबादी बढ़ती जा रही है. सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है. घंटों-घंटों जाम लगा रहता है. ऑड-इवेन से लेकर दूसरे तमाम फॉर्मूले आज़माए जा रहे हैं.

इसीलिए शहरों में परिवहन के लिए आजकल गोंदोला या केबल कारों का चलन बढ़ता जा रहा है.

2004 में लैटिन अमरीकी देश कोलंबिया का मेडेलिन शहर पूरी तरह से केबल कार और मेट्रो आधारित परिवहन वाला शहर बन गया था. शहर में मेट्रो सेवाएं पूरी तरह से केबल कारों से जुड़ गई थीं.

तब से दुनिया के तमाम शहर शहरी ट्रांसपोर्ट के लिए केबल कारों को बढ़ावा दे रहे हैं. ये गोंदोला पहले जहां मौज-मस्ती के लिए ही इस्तेमाल किए जाते थे. वहीं, अब इन्हें दूर-दराज़ के मुश्किल इलाक़ों को जोड़ने में काम लाया जा रहा है.

केबल कारें पर्यावरण के लिहाज़ से भी दूसरे साधनों से बेहतर हैं. इन्हें लगाने का ख़र्च भी कम है.

अपराध का गढ़ मेडेलिन शहर
सबसे पहले बात करते हैं मेडेलिन शहर की. ये कोलंबिया का दूसरा बड़ा शहर है. मेडेलिन कई दशकों तक हिंसक अपराधों के लिए बदनाम था. शहर के बाहरी और पहाड़ी इलाक़ों तक पहुंचना दूभर था.

बहुत से बाशिंदों के लिए रोज़गार हासिल करने के लिए मुख्य शहर तक आना मुसीबत लगता था.

लेकिन, 2004 के बाद शहर ने केबल कारों में भारी निवेश कर के पहाड़ी बस्तियों को शहर की मुख्य धारा से जोड़ा है.

मेडेलिन का मेट्रो-केबल सिस्टम दुनिया में अपनी तरह की अनूठी परिवहन व्यवस्था है. इससे मेडेलिन में जुर्म में भी काफ़ी कमी आई है.

मेडेलिन में मेट्रो-केबल की कामयाबी से उत्साहित होकर कई और देशों में भी इन पर आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित किया जा रहा है.

शहरों की प्लानिंग करने वालों के लिए ये सस्ता परिवहन माध्यम है, जो पहाड़ियों और नदियों की बाधा से पार पाने में मददगार होता है.

रूस और अमरीका में भी केबल कारों पर आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं.

केबल कारों के कई फ़ायदे हैं. ये शोर नहीं करतीं. इनसे वायु प्रदूषण नहीं होता. नई रेलवे लाइनें, सड़कें या पुल बनाने के मुक़ाबले केबल कारों की व्यवस्था का विकास सस्ता पड़ता है.

लेकिन, 2004 के बाद शहर ने केबल कारों में भारी निवेश कर के पहाड़ी बस्तियों को शहर की मुख्य धारा से जोड़ा है.

मेडेलिन का मेट्रो-केबल सिस्टम दुनिया में अपनी तरह की अनूठी परिवहन व्यवस्था है. इससे मेडेलिन में जुर्म में भी काफ़ी कमी आई है.

मेडेलिन में मेट्रो-केबल की कामयाबी से उत्साहित होकर कई और देशों में भी इन पर आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित किया जा रहा है.

शहरों की प्लानिंग करने वालों के लिए ये सस्ता परिवहन माध्यम है, जो पहाड़ियों और नदियों की बाधा से पार पाने में मददगार होता है.

रूस और अमरीका में भी केबल कारों पर आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं.

केबल कारों के कई फ़ायदे हैं. ये शोर नहीं करतीं. इनसे वायु प्रदूषण नहीं होता. नई रेलवे लाइनें, सड़कें या पुल बनाने के मुक़ाबले केबल कारों की व्यवस्था का विकास सस्ता पड़ता है.

विश्व बैंक की एक स्टडी बताती है कि केबल कारों से दूरी तय करने का विश्व का औसत क़रीब 2.7 किलोमीटर है. ऐसी लाइनों पर 800 मीटर की दूरी पर स्टेशन होते हैं. इनकी औसत स्पीड 10-20 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. हर घंटे केबल कारों के माध्यम से क़रीब 2 हज़ार लोगों को एक जगह से दूसरे ठिकाने पर ले जाया जा सकता है.

दिन भर में एक केबल कार सिस्टम से 20 हज़ार से ज़्यादा लोग सफ़र कर सकते हैं. एक और लैटिन अमरीकी देश बोलीविया की राजधानी ला पाज़ में केबल कारें 24 घंटे में 65 हज़ार लोगों को उनकी मंज़िलों तक पहुंचाती हैं.

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