अशोक गहलोत या सचिन पायलट, कांग्रेस किस पर खेलेगी दावं

क़रीब एक महीने पहले की बात है. दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक राहुल गांधी की अध्यक्षता में चल रही थी. मसला था राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के टिकट फ़ाइनल करना.

राहुल के बाईं ओर प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, दाईं ओर कॉंग्रेस महासचिव अशोक गहलोत और उनके बाद में राजस्थान विधायक दल के नेता रामेश्वर डूडी विराजमान थे.

बात जब दौसा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सीटों पर पहुँची तो बहस का स्वर थोड़ा बढ़-सा गया.

उस मीटिंग से जुड़े कुछ कांग्रेसी नेताओं के मुताबिक़ सचिन पायलट और रामेश्वर डूडी के बीच टिकट बँटवारे को लेकर मतभेद उभरे.

अशोक गहलोत अपने पुराने साथी डूडी की बात पर कुछ नहीं बोले और राहुल गांधी ने मीटिंग अगले दिन फिर बुलाई.

राजस्थान में आगामी सात दिसंबर को विधानसभा की 200 सीटों के लिए मतदान होना है और वहां वसुंधरा राजे के नेतृत्व में मौजूदा सरकार भारतीय जनता पार्टी की है.

रहा सवाल इन चुनावों में भाजपा के सीएम उम्मीदवार का तो उसमें दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे के नाम पर मुहर पहले ही लग चुकी है.

हाल ही की एक रैली में वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के सीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा ना करने पर ज़ुबानी हमला करते हुए कहा, "पार्टी में एक-दो नहीं कई सीएम उम्मीदवार हैं".

ये भी जग ज़ाहिर है कि इस राज्य में हुए पिछले चार विधानसभा चुनावों में हर मौजूदा सरकार को शिकस्त मिली है. जहाँ भाजपा कैंप में इस गणित को पलटने के दावे मिल रहे हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी इतिहास दोहराने की बात कर रही है.

मसला अटका पड़ा है कांग्रेसी ख़ेमे के भीतर, जहाँ अगर जीत मिलती है तो टॉस दो बार मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुके अशोक गहलोत और दो बार लोकसभा सांसद और युवा नेता सचिन पायलट के बीच होना है.

दोनों को लेकर पार्टी के भीतर राय भी बँटी हुई है.

जादूगर' और 'गांधी'

कांग्रेस संगठन के लोग अशोक गहलोत को 'राजनीति का जादूगर' और 'राजस्थान के गांधी' बताते हैं.

जबकि इसी संगठन के लोग कांग्रेस के क़द्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट के बेटे, सचिन पायलट को 'पार्टी का भविष्य' और 'एक अनुशासित सिपाही' कहना पसंद करते हैं.

67 साल के गहलोत की दिनचर्या सुबह चार बजे जागने से होती है और उसके बाद सुबह की सैर के बाद वे 9.30 बजे प्रचार के लिए निकल पड़ते हैं. पड़ाव पर आने के बाद भी घंटों मिलने-जुलने का सिलसिला जारी रहता है.

दूसरी तरफ़ गहलोत से उम्र में 25 साल छोटे सचिन पायलट भी तड़के पाँच बजे उठकर पहला ध्यान योग पर देते हैं. इसके बाद मुलाक़ातों का दौर शुरू हो जाता है और गहलोत के विपरीत सचिन कार्यकर्ताओं से 'एकांत में बातचीत करना ज़्यादा पसंद करते हैं, न कि भीड़-भड़ाके में'.

अब बात करते हैं दोनों की दावेदारी की. पहली बात तो ये कि अब तक दोनों में से किसी ने खुलकर ख़ुद को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. दूसरी ये कि पिछले कई वर्षों से दोनों राजस्थान की मुख्यमंत्री की कुर्सी के बारे में गंभीर दिखे हैं.

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